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जानें सरकारी नौकरी एवं जीवन में सफलता पाने के लिए क्या करें क्या ना करें


सफलता में खुद का व्यक्तित्व:
इंसान की सफलता और असफलता टिप्स और स्ट्रेटेजी के साथ साथ खुद के व्यक्तित्व में छिपी कुछ अदृश्य शक्तियों पर निर्भर करती है. इन शक्तियों को पहचान कर उसे सींचना है ताकि उसके प्रभाव में तीव्रता आये. क्या हो सकती हैं ये अदृश्य शक्तियां? इस प्रश्न से आपके मन में एकाएक कई बातें कौंध गयी होगी. कोई तो जादू टोने तक पहुँच गए होंगें. वापस आयें अपनी कल्पना के लोक से क्यूंकि हम अब आपको नीचे उन शक्तियों को जागृत करने के कुछ मन्त्र दे रहे हैं जो आपको सरकारी नौकरी की तैयारी से लेकर जीवन के हर मोड़ पर सफलता दिलाने का काम करेगी.
एकाग्रता-
एकाग्रता का सम्बन्ध मन से है. यह मन में कई तरह के विचारों के रेले पर विराम लगा देने की अवस्था है. इस अवस्था को प्राप्त कर लेने के बाद हमारा सामर्थ्य परमाणु शक्ति से भी ज्यादा बलवती हो जाता है. एक कर्मयोगी के लिए अपने साध्य को प्राप्त करने का यह साधन है.
मन की प्रकृति ही चंचलता है एवं इसपर लगाम लगाये जाने की जरुरत है वर्ना एक के बाद एक पानी के बुलबुले जैसा सृजित एवं नष्ट होते अनगिनत विचार हमें किसी एक विचार पर एकाग्र नही होने देंगी. और जब तक इंसान किसी एक विचार पर स्थितप्रज्ञ ना हो जाए तब तक उस विचार को कार्यरूप में परिणत होने का सामर्थ्य नही मिल पाता. कोई भी कार्य परिणति के पूर्व हमारे मन के धरातल में विचार के रूप में ही पनपता है. कार्य के रूप में वही विचार परिणत हो पाते हैं जिनमें प्रबलता हो, अन्य विचारों को परास्त करने की छमता हो. मन विचारों के लिए युद्ध भूमि ही है. इसलिए जो जीतेगा वही सिकंदर होगा. और जीत एकाग्रता की स्थिति में मन को बिना लाये नही मिल सकती है.
विचारों में चलते युद्ध, द्वंद को हम उदाहरण के रूप में ऐसे समझ सकते हैं- माना किसी छात्र के मन में आईएएस बनने का विचार आता है. ये विचार तब तक मन के तल से निकल कर कार्यरूप में परिणत नही हो पायेगा जब तक कि इसके सामानांतर उठते नकारात्मक विचारों पर विजय नही पा लिया जाए. एकाग्रता की स्थिति में विजय संभव है. मन की इस स्थिति में उठते हमारे विचार पूरी तरह सफल हो जाते है क्योंकि तब मन में पीछे से आने वाली अविश्वास की आवाज नही आती।
आत्म विश्वास:
खुद पर भरोसा, अपनी क्षमताओं पर भरोसा ही आत्म विश्वास है. इसके लिए सबसे जरुरी है अपनी क्षमता की पहचान करने की. क्योंकि अगर हम अपनी क्षमता को पहचान लेते हैं और जब अपने द्वारा सृजित साध्य को, लक्ष्य को अपनी क्षमता के अनुकूल पाते हैं तो हमारे अंदर आत्मविश्वास पनपता है.
जब हम आसपास ऐसे लोगों को देखते हैं जो हमारी तरह ही क्षमता रखते हैं और वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पा रहे हैं तो इससे हमारे अंदर भी आत्मविश्वास पनपता है. पर हमें आत्मविश्वास (कॉन्फिडेंस) एवं अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) में भेद करनेकी जरुरत है. कभी कभी देखने में आता है कि कोई प्रत्याशी, राही अपनी मंजिल को पा लेने के प्रति ओवरकॉन्फिडेंस रखता है और फिर भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नही कर पाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कभी कभी ओवर कॉन्फिडेंस हमारे लक्ष्य पाने के लिए किये जाने वाले प्रयास में कमी लाने वाली साबित होती. क्योंकि हम लक्ष्य के प्राप्ति के प्रति आश्वस्त रहने की वजह से अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नही करते हैं.
असफलता से विचलित ना हों:
असफलता को सफलता के पाठ के रूप में देखें. हो सकता है जिस लक्ष्य को आप पाना चाहते हैं उसे प्रथम प्रयास में आप हासिल ना कर सकें. आपको जीत की जगह हार का स्वाद भी चखना पड़ सकता है. परन्तु अगर आप अपनी हार से विचलित हो जायेंगे तो आप पुनः दूसरा प्रयास इतनी उर्जा के साथ नहीं कर पाएंगे. इसलिए जरुरत है असफलता को सफलता पाने के लिए उपयोगी पाठ के रूप में देखें. विश्लेषण करें कि कहाँ चूक हुयी आखिर, क्या कमी रह गयी प्रयास में? क्या हम उसी मार्ग पर थे जिससे लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है? अगर आप सकारात्मक हो इन प्रश्नों का उत्तर ढूँढने में सफल होते हैं तो निश्चय ही सफलता आपके क़दमों में होगी.
समय का सदुपयोग करें:
किसी निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बनाये जाने वाले कार्ययोजना ही रणनीति है. सरकारी नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों को एक निश्चित समय सीमा के अंदर लक्ष्य पाने के लिए प्रयास करने का अवसर होता है. चूँकि समय नियत है इसलिए रणनीति बनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. चाहे युद्ध का मैदान हो या फिर जीवन का बाधा दौड़, हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए एक सुनियोजित कार्ययोजना, रणनीति बनाये जाने की जरुरत पड़ती है. लक्ष्य चाहे कितना भी कठिन हो, अगर उसे पाने के लिए हमने सही कार्ययोजना बनाई है तो सफलता आवश्य ही मिलेगी. जहाँ तक सरकारी नौकरी को अपना लक्ष्य बनाये हुए प्रत्यासियों के लिए जरुरी है कि अपने द्वारा चयनित पद के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम पर पूरा शोध कर लें. और फिर नियत समय में किस प्रकार दिए गये सिलेबस को कवर किया जा सकता है इसकी योजना बना लें. ध्यान रहे अधिक पुस्तक पढने की बजाय सिलेबस को कवर करने वाले चयनित पुस्तकों का बार बार अध्ययन करना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
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इस प्रकार अगर आप एकाग्रता एवं आत्म विश्वास के साथ समय का सदुपयोग करते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बनाये कार्ययोजना पर अमल करेंगे तो निश्चय ही लक्ष्य को, अपनी मंजिल को नियत समय में पा सकेंगे.
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